ये हैं ऐसे पौधे जिन्हें लोग फालतू मानते हैं, क्योंकि नहीं जानते हैं इनके चमत्कारी गुण


अक्सर लोग जोंकमारी के पौधे को खरपतवार मानते हैं, लेकिन जोंकमारी का छोटा सा मैदानी पौधा खूब औषधीय महत्व का है। कई आदिवासी अंचलों में इसे जिंगनी और धब्बर भी कहते हैं। भारत वर्ष के अनेक इलाकों में इसे कृष्ण नील भी कहा जाता है। आदिवासियों के अनुसार यह तीखी और कड़वी प्रवृत्ति का पौधा होता है। इसका वानस्पतिक नाम एनागेलिस आरवेंसिस है। चलिए आज जानते है जोंकमारी से जुड़े देशी हर्बल नुस्खों के बारे में..

- अचानक चक्कर खाकर कोई गिर पड़े और दांतो को कस ले तो जोंकमारी की पत्तियों को कुचलकर रोगी के नाक पास ले जाएं। तबीयत बहुत जल्दी ठीक हो जाएगी।

- जोंकमारी की पत्तियों को कुचलकर नहाने के पानी में मिला लें। इस पानी से नहाने से त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।

- गठिया रोग में इस पूरे पौधे को कुचलकर दर्द वाले भागों पर लगाया जाए तो आराम मिलता है। तिल के तेल में इसकी पत्तियों के रस को मिलाकर दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाए तो आराम मिलता है।

- राजस्थान में ग्रामीण अंचलों मे लोग जोंकमारी के साथ मिट्टी के तेल और कपूर को मिलाकर लगाते है। यह नुस्खा गठिया में रामबाण है।

- किसी को कुत्ते ने काट लिया हो तो तुरंत जोंकमारी की पत्तियों को रगड़कर घाव पर लगाना चाहिए।

- गुजरात के आदिवासी इसी नुस्खे को सर्पदंश के बाद अपनाते है। इन आदिवासियों के अनुसार ये पौधा जहर की काट है। 

- गैस या अन्य किसी वजह से पेट में सूजन हो या मरोड़ चल रही हो तो पेट पर जोंकमारी का लेप लगाएं। लाभ होगा

- मुंह से ज्यादा बदबू आ रही हो तो इस पौधे की कुछ पत्तियों का सेवन करें। बदबू आने की समस्या दूर हो जाएगी।

-  लसोड़ा की छाल को पानी में घिस लें। बचे हुए रस को अतिसार से पीडि़त व्यक्ति को पिलाएं। आराम मिलेगा।

- छाल के रस को अधिक मात्रा में लेकर इसे उबाला जाए और काढ़ा बनाकर पिया जाए तो गले की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती है। 

- इसके बीजों को पीसकर दाद-खाज और खुजली वाले अंगो पर लगाएं आराम मिलता है। 

- लसोड़ा के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाएं। मैदा, बेसन और घी के साथ मिलाकर लड्डू बनाएं। आदिवासी मानते हैं कि इस लड्डू के सेवन शरीर को ताकत और स्फू र्ती मिलती है।
 
- लसोड़े की छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों पर लगाएं। सूजन उतर जाएगी।

- लसोड़ा के पत्तों का रस प्रमेह और प्रदर दोनों रोगों के लिए कारगर होता है। लसोड़ा की छाल का काढ़ा तैयार कर माहवारी की समस्याओं से परेशान महिला को दें।आराम मिलता है।

- इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लें। उसे पानी के साथ मिलाएं और उबालें। जब  एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला करें। इससे मसूड़ों की सूजन, दांतो का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।

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