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रोज इलायची खाने से दूर हो जाती हैं ये प्रॉब्लम्स, करती है रामबाण का काम

इलायची एक सुगंधित मसाला है। यह मीठे व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसकी गंध तीखी होती है। इसीलिए इसका उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है। इसमें आयरन, राइबोफ्लेविन, विटामिन सी और नियासिन पाया जाता है। ये रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इलायची खाने के कई फायदे हैं। चलिए, आज हम जानते हैं इलायची खाने के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में। पाचन को ठीक कर देती है-  खाने के बाद कई लोग इलायची का उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में करते हैं। जानते हैं क्यों? दरअसल, इलायची प्राकृतिक रूप से गैस को खत्म करने का काम करती है। यह पाचन को बढ़ाने, पेट की सूजन को कम करने व दिल की जलन को खत्म करने का काम करती है।  आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, यह खाने के पाचन में मदद करती है। यदि आपको बदहजमी की शिकायत है तो दो से तीन इलायची, अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा, थोड़ी-सी लौंग और सूखा धनिया पीस लें। इस पाउडर को गर्म पानी के साथ खाएं। पेट से जुड़ी प्रॉब्लम्स खत्म हो जाएंगी। सांस की दुर्गंध दूर करती है- इलायची में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। साथ ही, इसका तेज स्

दालचीनी (Cinnamon bark)-

दालचीनी का प्रयोग सर्वत्र मसालों के रूप में किया जाता है | भारत में मुख्यतः तमिलनाडु,कर्नाटक एवं केरल में इसकी खेती की जाती है | दालचीनी की छाल तेजपात की छाल से अधिक पतली,पीली व अधिक सुगन्धित तथा स्वादयुक्त होती है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जुलाई से दिसंबर तक होता है | आइये जानते हैं दालचीनी के कुछ औषधीय गुणों के विषय में - १- दालचीनी के तेल को मस्तक पर मलने से सर्दी की वजह से होने वाला सिरदर्द मिट जाता है | २- दालचीनी का तेल आँखों के ऊपर (पलकों पर) लगाने से आँख का फड़कना बंद हो जाता है और नेत्रों की ज्योति बढ़ती है | ३- आधा चम्मच दालचीनी चूर्ण को दो चम्मच मधु के साथ सुबह शाम सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है | ४-दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है | ५- शहद और दालचीनी मिलाकर रोग ग्रसित भाग पर लगाने से थोड़े-ही-दिनों में खाज-खुजली तथा फोड़े-फुंसी जैसे चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं | हानि - इसकी अधिक मात्रा उष्ण प्रकृति वालों को सिरदर्द पैदा करती है | दालचीनी गर्भवती स्त्रियों को नहीं देनी चाहिए |

बेल -

बेल का वृक्ष बहुत प्राचीन है |यह लगभग २०-३० फुट ऊंचा होता है | इसके पत्ते जुड़े हुए त्रिफाक और गंधयुक्त होते हैं | इसका फल ३-४ इंच व्यास का गोलाकार और पीले रंग का होता है | बीज कड़े और छोटे होते हैं | बेल के फल का गूदा और बीज एक उत्तम विरेचक (पेट साफ़ करने वाले ) माने जाते हैं | बेल शर्करा को कम करने वाला,कफ व वात को शांत करने वाला,अतिसार, मधुमेह,रक्तार्श,श्वेत प्रदर व अति रज : स्राव को नष्ट करने वाला होता है | आइए जानते हैं बेल के औषधीय गुण - १- पके हुए बेल का शर्बत पुरान े आंव की महाऔषधि है | इसके सेवन से संग्रहणी रोग बहुत जल्दी ही दूर हो जाता है | २- बेल का मुरब्बा खाने से पित्त व अतिसार में लाभ होता है | पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है | ३- दस ग्राम बेल के पत्तों को ४-५ कालीमिर्च के साथ पीसकर उसमे १० ग्राम मिश्री मिलकर शरबत बना लें | इसका दिन में तीन बार सेवन करने से पेट दर्द ठीक हो जाता है | ४- बेल के गूदे को गुड़ मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार (खूनी दस्त ) के रोगी का रोग दूर हो जाता है | ५- मिश्री मिले हुए दूध के साथ बेल की गिरी के चूर्ण का सेवन

थकावट ********

थकान शब्द से सभी परिचित हैं प्रायः थकावट से सभी का आमना - सामना होता है | सभी सोचते हैं थकावट कैसे दूर की जाए , आइये आज इस पर थोड़ा विचार किया जाए | १- अधिक थकान होने पर, सोते समय गर्म दूध का सेवन करें , दूध हमेशा घूँट -घूँट करके पियें , चाहें तो दूध में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी मिला सकते हैं | दूध को भली - भांति फेंट कर [ झाग बनाकर ] ही पियें यह अधिक लाभप्रद होता है |  २- अधिक दौड़ने - भागने , चढ़ाई चढ़ने - उतरने या अधिक पैदल चलने के कारण हुई थकान दूर करने के लि ए आधा बाल्टी गर्म - पानी लें , उसमें दो चम्मच नमक डालें और बाल्टी में पैर डालकर बैठ जाएँ | थोड़ी देर में जब पानी कुछ ठंडा हो जाए तो और गर्म पानी डाल लें | आधे घंटे में फर्क महसूस करें | ३- थकावट दूर करने के लिए घर में किसी शांत स्थान पर , ढीले वस्त्र पहन कर शवासन में विश्राम करें , अर्थात कसे हुए वस्त्र बदलकर आरामदायक वस्त्र पहने और लेटकर शरीर के सभी अंगों को ढीला छोड़ दें और विश्राम करें |

कटहल (Jackfruit )-

कटहल का प्रयोग बहुत से कामों में किया जाता है | कच्चे कटहल की सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनती है तथा पक जाने पर अंदर का गूदा खाया जाता है | कटहल के बीजों की सब्जी भी बनाई जाती है | आमतौर पर यह सब्जी की तरह ही प्रयोग में आता है परन्तु कटहल में कई औषधीय गुण भी पाये जाते हैं| कटहल में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स,कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा विटामिन्स भी पाये जाते हैं | कटहल के औषधीय गुण - १- पके हुए कटहल के सेवन से गैस और बदहज़मी में लाभ होता है | २- कटहल की पत्तियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण एक छोटी चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेट के अलसर में आराम मिलता है | ३- कटहल की छाल घिसकर लेप बना लें | यह लेप मुहँ के छालों पर लगाने से छाले दूर होते हैं | ४- कटहल के पत्तों को गर्म करके पीस लें और इसे दाद पर लेप करें | इससे दाद ठीक होता है | ५- कटहल के पत्तों पर घी लगाकर एक्ज़िमा पर बाँधने से आराम मिलता है ६- कटहल के ८-१० बीजों के चूर्ण का क्वाथ बनाकर पीने से नकसीर में लाभ होता है |

मौसमी -

मौसमी अधिकतर दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाने वाला फल है | भारत में यह फल जुलाई, अगस्त तथा नवम्बर- मार्च तक उपलब्ध रहता है | यह देखने में कुछ -कुछ नींबू की तरह होती है परन्तु स्वाद में यह मीठी होती है | मौसमी का फल नारंगी के बराबर आकार का होता है| मौसमी खाने में शीतल होती है तथा इसका सेवन सभी प्रकृति वालों के लिए तथा सभी अवस्थाओं में लाभदायक है | मौसमी रुचिकारक, धातुवर्धक और खून को साफ़ करने वाली है | इसके सेवन से पाचन में लाभ मिलता है | आइये जानते हैं मौसमी के कुछ ला भ - १- मौसमी का रस पीने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा जीवनी शक्ति की वृद्धि होती है | २- मौसमी खाने से दांत मज़बूत होते हैं और इसका रेशा कब्ज़ दूर करने में मदद करता है | ३-मौसमी के रस में क्षार तत्व अधिक होता है अत: यह खून की अम्लता (एसिडिटी) को दूर करता है| ४- मौसमी के रस को हल्का सा गर्म करके इसमें ५ - ६ बूँद अदरक का रस डालकर पीने से जुकाम में आराम मिलता है | ५- मौसमी या इसके रस के सेवन से रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्रोल जमा नहीं हो पाता और ह्रदय रोग होने की संभावना नहीं रहती | अतः इसका सेवन ह्रदय को स्वस्थ