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Showing posts from July, 2014

गाजर, पुदीना और सौंफ के घरेलू उपाय, इनसे बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाएगा

यदि आपका लगातार वजन बढ़ रहा है तो सावधान हो जाइए। कमर और पेट का ये बढ़ता साइज कई बीमारियों का कारण बन सकता है। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे छोटे-छोटे नुस्खे, जिन्हें अपनाकर आप बिना ज्यादा मेहनत किए वजन को नियंत्रित कर सकते हैं। - पुदीने की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाकर चपाती के साथ खाएं। पुदीने वाली चाय पीने से भी वजन नियंत्रण में रहता है। - रोज खाने से पहले गाजर खाएं। खाने से पहले गाजर खाने से भूख कम हो जाएगी। आधुनिक विज्ञान भी गाजर को मोटापा कम करने में कारगर मानता है। - आधा चम्मच सौंफ को एक कप खौलते पानी में डाल दें। 10 मिनट तक इसे ढककर रखें। ठंडा होने पर इस पानी को पिएं। ऐसा तीन माह तक लगातार करने से वजन कम होने लगता है। - पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।  - दही का खाने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें। - छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ

ईसबगोल (Spogel seeds) -

ईसबगोल का मूल उत्त्पत्ति स्थान ईरान है और यहीं से इसका भारत में आयात किया जाता है | इसका उल्लेख प्राचीन वैद्यक शास्त्रों व निघण्टुओं में अल्प मात्रा में पाया जाता है| 10वीं शताब्दी पूर्व के अरबी और ईरान के अलहवीं और इब्नसीना नामक हकीमों ने अपने ग्रंथों में औषधि द्रव्य के रूप में ईसबगोल का निर्देश किया था | तत्पश्चात कई यूनानी निघण्टुकारों ने इसका खूब विस्तृत विवेचन किया | फारस में मुगलों के शासनकाल में इसका प्रारम्भिक प्रचार यूनानी ह कीमों ने इसे ईरान से यहां मंगाकर किया | तब से जीर्ण प्रवाहिका और आंत के मरोड़ों पर सुविख्यात औषधोपचार रूप में इसका अत्यधिक प्रयोग किया जाने लगा और आज भी यह आंत्र विकारों की कई उत्तमोत्तम औषधियों में अपना खास दर्जा रखती है |इनके बीजों का कुछ आकार प्रकार घोड़े के कान जैसा होने से इसे इस्पगोल या इसबगोल कहा जाने लगा | आजकल भारत में भी इसकी खेती गुजरात,उत्तर प्रदेश,पंजाब और हरियाणा में की जाती है| औषधि रूप में इसके बीज और बीजों की भूसी प्रयुक्त की जाती है | बीजों के ऊपर सफ़ेद भूसी होती है | भूसी पानी के संपर्क में आते ही चिकना लुआव बना लेती है जो गंधरहित और स्वा

कढ़ी पत्ता (मीठा नीम,कैडर्य) -

अत्यन्त प्राचीन काल से भारत में मीठे नीम का उपयोग किया जा रहा है | कई टीकाकारों ने इसे पर्वत निम्ब तथा गिरिनिम्ब आदि नाम दिए हैं | इसके गीले और सूखे पत्तों को घी या तेल में तल कर कढ़ी या साग आदि में छौंक लगाने से ये अति स्वादिष्ट,सुगन्धित हो जाते हैं | दाल में इसके पत्तों का छौंक देने से दाल स्वादिष्ट बन जाती है,चने के बेसन में मिलाकर इसकी उत्तम रुचिकर पकौड़ी बनाई जाती है| आम,इमली आदि के साथ इसके पत्तों को पीसकर बनाई गई चटनी अत्यंत स्वादिष ्ट व सुगन्धित होती है | इसके बीजों तथा पत्तों में से एक सुगन्धित तेल निकला जाता ही जो अन्य सुगन्धित तेलों के निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल क्रमशः फ़रवरी से अप्रैल तक तथा अप्रैल से अगस्त तक होता है | इसकी पत्तियों में ओक्सालिक अम्ल,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम,फॉस्फोरस,अवाष्पशील तेल,लौह,थाइमिन,राइबोफ्लेविन,तथा निकोटिनिक अम्ल पाया जाता है | कढ़ी पत्ते के औषधीय प्रयोग- १- मीठे नीम के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द ठीक होता है | २- मीठे नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे करने से छाले ठीक होते हैं तथा २-४ पत्

अनानास (Pineapple) -

अनानास ब्राज़ील का आदिवासी पौधा है | क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1493 AD में कैरेबियन द्वीप समूह के ग्वाडेलोप नाम के द्वीप में इसे खोजा था और इसे 'पाइना दी इंडीज' नाम दिया | कोलंबस ने यूरोप में अनानास की खेती की शुरुआत की थी | भारत में अनानास की खेती की शुरुआत पुर्तगालियों ने 1548 AD में गोवा से की थी | अनानास की डालियाँ काटकर बोने से उग आती हैं | अनानास का फल बहुत स्वादिष्ट होता है | इसके कच्चे फल का स्वाद खट् टा तथा पके फल का स्वाद मीठा होता है । इसके फल में थाइमिन,राइबोफ्लेविन,सुक्रोस,ग्लूकोस,कैफीक अम्ल,सिट्रिक अम्ल,कार्बोहाईड्रेट तथा प्रोटीन पाया जाता है | आज हम आपको अनानास के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे - १- अनानास फल के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दमे और खाँसी में लाभ होता है| २- यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनानास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है | इसके सेवन से रक्तवृद्धि होती है और पाचनक्रिया तेज़ होती है | ३- अनानास के पके फल के बारीक टुकड़ों में सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है | ४- अनानास के पत्तों का काढ़ा बनाकर उ

आलू -

आलू को अनाज के पूरक आहार का स्थान प्राप्त है | यह सब्जियों का राजा माना जाता है क्योंकि दुनिया भर में सब्जियों के रूप में आलू का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है | आलू में कैल्शियम,लोहा,विटामिन -बी तथा फॉस्फोरस बहुत अधिक मात्रा में होता है | आलू के छिलके निकाल देने पर उसके साथ कुछ पोषक तत्व भी चले जाते हैं अतः आलू का छिलके सहित सेवन अधिक लाभप्रद है | आइए जानते हैं आलू के कुछ औषधीय गुण - १- आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है | आलू को तलकर,तीखे मसाले,घी आदि लगा कर खाने से मोटापा बढ़ता है | आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख पर भूनकर खाना लाभकारी है | २- चोट लगने पर यदि शरीर में नील पड़ जाए तो उसपर कच्चा आलू पीसकर लगाने से लाभ होता है | ३- कच्चे आलू का आधा-आधा कप रस दिन में दो बार पीने से पेट की गैस में आराम मिलता है | ४- शरीर के जले हुए भाग पर आलो पीस कर लगाएं | ऐसा करने से जलन ख़त्म होकर आराम आ जाता है | ५- चेहरे पर कच्चा आलू रगड़ने से झाँइयों व मुहाँसों आदि के दाग मिटकर चेहरा कान्तियुक्त बनता है |

पीले दांतों से परेशान लोगों के लिए खास नुस्खे, ये दांतों को फिर से सफेद बना देंगे

दांतों का पीलापन आज के समय में एक आम समस्या है। सही ढंग से केयर न करने या प्लांक जमने के कारण दांत पीले हो जाते हैं। इसके अलावा, खाने की कुछ चीजों के लगातार उपयोग, बढ़ती उम्र या अधिक दवाइयों का सेवन भी दांतों के पीलेपन के कारण हो सकते हैं।   पीले दांतों के कारण न सिर्फ चेहरे की खूबसूरती प्रभावित होती है, बल्कि आत्मविश्वास में भी कमी आती है। आज हम आपको दांतों का पीलापन दूर करने के कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं। ये नुस्खे आपके दांतों का पीलापन दूर करने में बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं- 1- तुलसी में दांतों का पीलापन दूर करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। साथ ही, तुलसी मुंह और दांत के रोगों से भी बचाती है। तुलसी के पत्तों को धूप में सुखा लें। इसके पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से दांत चमकने लगते हैं। 2- नमक से दांत साफ करने का नुस्खा बहुत पुराना है। नमक में 2-3 बूंद सरसों का तेल मिलाकर दांत साफ करने से पीलापन दूर हो जाता है और दांत चमकने लगते हैं। 3- संतरे के छिलके और तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। ब्रश करने के बाद इस पाउडर से दांतों पर हल्के से रोजाना मसाज

बारिश में बीमारियों को रखना हो दूर तो ऐसे करें तुलसी का USE

तुलसी एक ऐसा पौधा है, जो कई तरह के अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर है। हिंदू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है। दरअसल, यह परंपरा यूं ही नहीं बनाई गई। जिस तरह से हमारी हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण है, ठीक उसी तरह घर में तुलसी लगाने और उसकी पूजा करने के पीछे भी कुछ वैज्ञानिक कारण हैं।   जब तुलसी के निरंतर प्रयोग से हमारे ऋषि-मुनियों ने यह अनुभव किया कि इस पौधे में कई बीमारियों को ठीक करने की अद्भुत क्षमता है और इसे लगाने से आसपास का माहौल भी साफ-सुथरा व स्वास्थ्यप्रद रहता है, तो उन्होंने हर घर में कम से कम एक पौधा लगाने और उसकी अच्छे से देखभाल करने को धार्मिक कर्तव्य कह कर प्रचारित किया।   धीरे-धीरे तुलसी के स्वास्थ्य प्रदान करने वाले गुणों के कारण इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि तुलसी का पूजन किया जाने लगा। दरअसल, यह मान्यता है कि जिस वस्तु का उपयोग पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है, उसका सकारात्मक प्रभाव बहुत जल्दी दिखाई पड़ता है। तुलसी सिर्फ

पान

पान का प्रयोग भारतवर्ष में सिर्फ़ खाने के लिए ही नहीं अपितु पूजन , यज्ञ तथा अतिथियों के स्वागत इत्यादि में भी किया जाता है , पान को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है , जिससे आज हम आपका परिचय करने जा रहे हैं ------- १- मुँह के छालों के लिए पान के पत्तों के रस में शहद मिलाकर लगाने से लाभ होता है , यह प्रयोग दिन में दो -तीन बार किया जा सकता है | २-घाव के ऊपर पान के पत्ते को गर्म करके बांधें तो सूजन और दर्द शीघ्र ही ठीक होकर घाव भी ठीक हो जाता है | ३-शरीर में होने वाली पित्ती होने पर , एक चम्मच फिटकरी को थोड़े से पानी में डालें , तीन खाने वाले पान के पत्ते लें | फिटकरी वाले पानी में मिलाकर इन पत्तों को पीस लें | इस मिश्रण को पित्ती के चिकत्तों पर लेप करें , लाभ होगा | ४ - मोच आने पर पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर गर्म करें , फिर इसे मोच पर बांधें शीघ्र लाभ होगा |

फालसा [परुषक]

फालसा भारत में साधारणतया गंगा के मैदानी भागों एवं पूर्वी बंगाल को छोड़कर पंजाब, उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश में पाया जाता है | इसका फल पीपल के फल के बराबर होता है | यह मीठा होता है तथा गर्मी के दिनों में इसका शरबत भी बनाकर पीते हैं | फालसा में प्रोलिन ,लायसिन, ग्लूटेरिक अम्ल,शर्करा,खनिज,कैरोटीन तथा विटामिन C पाया जाता है | १- फालसे के सेवन से गैस और एसिडिटी के रोगियों को बहुत लाभ होता है | २- फालसे और शहतूत का शरबत पीने से लू से बचा जा सकता है | फालसे के साथ सेंधानमक खाने से लू नहीं लगती है | ३- सुबह-शाम फालसे का शर्बत पीने से गर्मी के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है | ४- दस मिली फालसे के रस को पिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है | ५- फालसे की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से गीली खुजली ठीक हो जाती है | ६- फालसे का शरबत बनाकर पीने से दाह का शमन होता है | ७- खून की कमी होने पर फालसे का सेवन करना चाहिए,इसे खाने से खून बढ़ता है |

चकोतरा -

चकोतरा संतरे की प्रजाति का फल है | यह सभी रसदार फलों में सबसे बड़े आकार का फल है | चकोतरे में संतरे की अपेक्षा सिट्रिक अम्ल अधिक तथा शर्करा कम होती है | इसका छिलका पीला तथा अंदर का भाग लाल रंग का होता है | इसमें नींबू और संतरे के सभी गुण मिलते हैं | चकोतरा शीतल प्रकृति का होता है तथा इसका स्वाद खट्टा और मीठा होता है | यह प्यास को रोकता है तथा भूख बढ़ाता है | इसके सेवन से चेहरे का रंग साफ़ होता है | विभिन्न रोगों में चकोतरे का उपयो ग - १- चकोतरे के पत्तों का दस- बीस मिली रस प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से उँगलियों का कांपना ठीक हो जाता है | २- चकोतरे के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर की थकावट दूर होती है | ३- मलेरिया में चकोतरे का रस पीने से लाभ होता है क्यूंकि इसके रस में कुनैन होता है | ४- चकोतरे के रस में पानी मिलकर पीने से बुखार में लाभ होता है तथा अधिक प्यास लगना बंद हो जाता है | ५- चकोतरे के सेवन से जुकाम से भी बचा जा सकता है |

प्याज़

हम सभी प्रायः प्याज़ का प्रयोग सलाद के रूप में तथा दाल -सब्ज़ी का स्वाद बढ़ाने के लिए करते हैं , आइये आज जानते हैं इसके कुछ सरल औषधीय प्रयोग - १- यदि जी मिचला रहा हो तो प्याज़ काटकर उसपर थोड़ा काला -नमक व थोड़ा सेंधा -नमक डालकर खाएँ , लाभ होगा |  २-पेट में अफ़ारा होने पर दिन में तीन बार निम्न औषधि का प्रयोग किया जा सकता है - प्याज़ का रस -२० ml ; काला -नमक -१ ग्राम व हींग -१/४ ग्राम लें ,इन सबको मिलाकर रोगी को पिलाएँ |  ३-हिचकी की समस्या होने पर १० ग्राम प्याज़ के रस में थोड़ा सा काला -नमक व सेंधा -नमक मिलकर लेने से लाभ होता है |  ४- प्रातःकाल उठकर खाली पेट १ चम्मच प्याज़ का रस पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है |  ५- यदि किसी के चेहरे पर काले दाग़ हों तो उनपर प्याज़ का रस लगाने से कालापन दूर होता है तथा चेहरे की चमक भी बढ़ती है |  ६-एसिडिटी की समस्या में भी प्याज़ उपयोगी है | ३० ग्राम दही लें , उसमे ६० ग्राम सफ़ेद प्याज़ का रस मिलाकर खाएँ , यह प्रयोग दिन में तीन बार करें तथा कम से कम लगातार सात दिन तक करें , लाभ होगा

फिटकरी

फिटकरी आमतौर पर सब घरों में प्रयोग होती है | यह लाल व सफ़ेद दो प्रकार की होती है | अधिकतर सफ़ेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है | यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है | फिटकरी में और भी बहुत गुण होते हैं | आज हम आपको फिटकरी के कुछ गुणों के विषय में बताएंगे - १- यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे रक्तस्त्राव हो रहा हो तो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है | २- आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है | ३- भुनी हुई फिटकरी १-१ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उलटी बंद हो जाती है | ४- प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथामुँहकी बदबू ख़त्म हो जाती है | ५- एक लीटर पानी में १० ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें | इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं | ६- दस ग्राम फिटकरी के चूर्ण में पांच ग्राम सेंधा नमक मिलाकर मंजन बना लें | इस मंजन के प्रतिदिन प्रयोग से दाँतो के दर्द में आराम मिलता है |

तीखी लौंग है बड़े काम की चीज, इन रोगों में करती है दमदार दवा-सा असर

लौंग औषधीय गुणों का खजाना है। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, सोडियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इन गुणों के कारण यह घर का डॉक्टर साबित होती है। लौंग एक ऐसा मसाला है, जिसे उसके जबरदस्त फ्लेवर के कारण जाना जाता है। खाने के जिस भी व्यंजन में इसे मिलाया जाता है, उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लौंग के ऐसे ही कुछ खास उपयोगों के बारे में... - एंटी-सेप्टिक गुणों के कारण लौंग चोट, खुजली और संक्रमण में काफी उपयोगी होती है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है। इसे किसी पत्थर पर पानी के साथ पीस कर काटे गए या डंक वाले स्थान पर लगाना चाहिए, काफी लाभ होता है। - लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन और सूखे कफ का नाश होता है। - सिर दर्द में भी लौंग काफी कारगर है। लौंग को पीस कर सिर पर लेप करने से दर्द में राहत मिलती है। लौंग के तेल में नमक मिला कर सिर पर लगाने से ठंडक का अहसास ह

जो कटहल पसंद नहीं करते, वे ये खासियत जान लेंगे तो मुरीद हो जाएंगे इसके

कटहल एक ऐसी सब्जी है जो कई औषधीय गुणों से भरपूर है, लेकिन फिर भी बहुत कम लोग हैं, जो इसका सेवन नियमित रूप से करते हैं। कटहल का वानस्पतिक नाम आर्टोकार्पस हेटेरोफिल्लस है। इसके फलों में कई महत्वपूर्ण कार्बोहाइड्रेट के अलावा कई विटामिन भी पाए जाते है। सब्जी के तौर पर खाने के अलावा कटहल का अचार और पापड़ भी बनाया जाता है। आदिवासी अंचलों में कटहल का उपयोग अनेक रोगों के इलाज में किया जाता है। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे ही चुनिंदा हर्बल नुस्खों के बारे में... अल्सर में है बेहतरीन दवा कटहल की पत्तियों की राख अल्सर के इलाज के लिए बहुत उपयोगी होती है। हरी ताजा पत्तियों को साफ धोकर सुखा लें। सूखने के बाद पत्तियों का चूर्ण तैयार करें। पेट के अल्सर से ग्रस्त व्यक्ति को इस चूर्ण को खिलाएं। अल्सर में बहुत जल्दी आराम मिलेगा। मुंह के छालों में असरदार जिन लोगों को मुंह में बार-बार छाले होने की शिकायत हो, उन्हें कटहल की कच्ची पत्तियों को चबाकर थूकना चाहिए। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, यह छालों को ठीक कर देता है। खाना जल्दी पचा देता है पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में

अदरक, आंवला, दही को ऐसे करेंगे USE तो सफेद बाल फिर काले होने लगेंगे

कम उम्र में जिन लोगों के बाल सफेद हो जाते हैं, उनके लिए ये एक बड़ा चिंता का विषय होता है। बालों की हेल्थ पर खानपान का विशेष प्रभाव पड़ता है। बालों के असमय पकने को रोकने के लिए चाय, कॉंफी का सेवन कम करना चाहिए। साथ ही, एल्कोहल का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। खाने में ज्यादा खट्टा, अम्लीय भोज्य-पदार्थ लेने से बालों पर असर पड़ता है। तेल और तीखा भोजन भी बालों से जुड़ी समस्या को और बढ़ा देते हैं। इन सबके अलावा मानसिक तनाव, चिंता, धूम्रपान, दवाओं का लंबे समय तक उपयोग, बालों को कलर करना आदि से बालों के पकने, झड़ने और दोमुंहा होने का सिलसिला और तेज हो जाता है। यदि आप इन परेशानियों से बचना चाहते हैं तो अपनाइए ये नुस्खे, जो बालों के लिए वरदान की तरह काम करते हैं। - अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का पकना कम हो जाएगा। - दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। -  सूखे आंवले को पानी में उबालें।

तीन साधारण चीजें, इन्हें मिलाकर खाने से कई भयानक रोग आसानी से दूर हो जाते हैं

कमजोरी के कारण शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है। यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाएं तो अपने स्वास्थ्य की सही तरह से देखभाल कर पाएंगे। साथ ही, शरीर का कायाकल्प करने में भी आसानी होगी। त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है, जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला का नियमित सेवन करने के बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा भी इसके बहुत सारे उपयोग है।  आयुर्वेदिक डॉक्टरों की यह सबसे पंसदीदा दवा है। इसकी मदद से वे किसी भी रोग के लिए दवाईयां बना सकते है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेदिक दवाओं की किताब, चरक सहिंता में सबसे पहले अध्याय में ही त्रिफला के बारे में उल्लेख किया गया है। त्रिफला, आमलकी, हरीतकी और विभतकी का शक्तिशाली मिश्रण है। चलिए आज जानते हैं त्रिफला के  बेहद खास उपयोग...   कृमि की समस्या को खत्म करता है-  कृमि की समस्या हो तो त्रिफला खाने से राहत मिलती है। यदि शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते हैं तो भी त्रिफला

कुछ ऐसी घरेलू चीजें, जिन्हें लगाने से सांवला रंग गोरा होने लगता है

खूबसूरत चेहरा और हेल्दी स्किन के साथ ही यदि रंग गोरा हो तो ऐसा व्यक्ति अधिक आकर्षक लगता है। ऐसा हम भारतीयों का मानना है। शायद गोरा रंग हमें अधिक आकर्षित करता है, इसीलिए यदि किसी इंसान के नैन-नक्श अच्छे हैं, लेकिन उसका रंग ज्यादा गोरा नहीं है तो हम उसे बहुत सुंदर नहीं मानते, क्योंकि हमारे यहां गोरे रंग के प्रति लोगों का आकर्षण ज्यादा है। इसीलिए लोग गोरे होने के लिए कॉस्मेटिक्स यूज करते हैं। यदि आपके साथ भी यही समस्या है और आप अपना रंग गोरा करने के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं तो घरेलू नुस्खे अपनाइए।   घरेलू नुस्खों को अपनाने से स्किन, हेल्दी, ग्लोइंग, फेयर हो जाती है और कोई रिएक्शन भी नहीं होता है। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे नुस्खे जिन्हें अपना लेने पर रंग साफ होने लगता है। शहद-  शहद त्वचा के लिए टॉनिक का काम करता है। शहद खाने से और लगाने से स्किन ग्लो करने लगती है। स्किन को गोरा बनाने के लिए एक छोटा चम्मच शहद लें। इसे चेहरे पर लगाएं। हल्के हाथों से मसाज करें व कुछ देर के लिए छोड़ दें। सूखने पर चेहरा धो लें। ऐसा कम से कम एक दिन में दो बार करें। दो हफ्ते मे